स्पाइनल अर्थराइटिस (रीढ़ की गठिया) एक अत्यंत कष्टकारी बीमारी है, जिससे समय रहते इलाज कराने से छुटकारा पाया जा सकता है।
कारण
-आज की जीवन-शैली इस बीमारी का एक प्रमुख कारण है। लंबे समय तक आफिस या घर में कंप्यूटर पर काम करना।
-फोन पर काफी देर तक गर्दन एक तरफ झुकाकर बात करना।
-लंबी दूरी तक खराब सड़क पर दोपहिया वाहन चलाना।
-स्टाइलिश चेयर्स और सोफे का अत्यधिक इस्तेमाल।
-शराब और तंबाकू का अत्यधिक सेवन।
-बढ़ता मोटापा और घटता शारीरिक परिश्रम इस बीमारी के प्रमुख कारणों में से हैं।
सामान्य लक्षण
-लंबे समय से कमर या गर्दन में दर्द।
-सुबह के वक्त या लंबे आराम के बाद गर्दन और कमर में जकड़न और असहनीय पीड़ा होना।
-गर्दन का दर्द, जिसका प्रभाव कंधे और हाथों में झनझनाहट की तरह महसूस होता है।
-कमर का दर्द जो पैरों में झनझनाहट, कमजोरी व सुन्नपन का अहसास कराता है।
-मानसिक कारणों खासकर तनाव से दर्द में इजाफा होना।
जांचें
चिकित्सीय परीक्षण व अर्थराइटिस प्रोफाइल जांच, रीढ़ की हड्डी(स्पाइन) की गहन जांच जैसे एक्स-रे, सी.टी. स्कैन, एमआरआई और आइसोटोप स्कैनिंग
रोकथाम व इलाज
-नियमित शारीरिक व्यायाम और संतुलित-पौष्टिक भोजन करें, जो इस रोग से बचाव का एक प्रमुख तरीका है।
-विशेषज्ञ की देखरेख में सही तरीके से सोना, उठना, बैठना और भार उठाने की विधियां जानना।
-सर्वाइकल कॉलर और लम्बोसेकरल बेल्ट के इस्तेमाल से दर्द में राहत मिलती है।
-एपिड्युरल इंजेक्शन और फेसीटल इंजेक्शन के प्रयोग से दर्द में राहत मिलती है। डॉक्टर से परामर्श के बाद ही इसका इस्तेमाल करें।
-अत्याधुनिक इंडोस्कोपिक न्यूरल डिकंप्रेशन, डिस्क न्यूक्लियोटॅमी और गंभीर मामलों में स्पाइनल फ्यूजन, डिस्क रिप्लेशमेंट और करेक्टिव ऑस्टियोटॅमी द्वारा स्पाइनल अर्थराइटिस के लगभग 98 फीसदी मामलों में सफलता प्राप्त की जा सकती है।