बस्ती । विश्व पृथ्वी दिवस पर वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा कलेक्टेªट परिसर में शनिवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने पृथ्वी पर बढते भार, ग्लोबल वार्मिग, जल, जमीन, जंगल और प्रदूषण की चिन्ताओं को साझा किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मुख्य वक्ता सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि संसार पर फिर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मड़रा रहा है। इन्सानों ने एक दूसरे को समाप्त करने के लिये जितने हथियार बना डाले हैं यदि इस शक्ति का उपयोग धरती को बचाने में लगाया जाता तो हालात इतने खतरनाक न होते। कहा कि धरती हरी भरी रहेेगी तभी विश्व शांति, विकास का संकल्प साकार होगा।
संचालन करते हुये श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि विश्व कठिन दौर से गुजर रहा है। समुद्र बौखलाया है, आये दिन किसी न किसी कोने में सुनामी से तबाही की खबरे सामान्य हो गई है। भूकम्प, प्राकृतिक आपदाओं का घातक सिलसिला जारी है। यह इस बात का संकेत है कि धरती बीमार है। इसके भाग्य तभी संवरेंगे जब लोभी मनुष्य समन्वय के मार्ग पर चले।
अध्यक्षता करते हुये डा. रामदुलारे पाठक ने कहा धरती को बचाने के लिये विश्व व्यापी सामूहिक प्रयास की जरूरत है अन्यथा प्रकृति ने यदि स्वयं संतुलन बनाया तो इसके परिणाम मानव सभ्यता के लिये खतरनाक होगा।
कार्यक्रम को सुरेन्द्रनाथ ओझा, पं. चन्द्रबली मिश्र, मो. वसीम अंसारी, धर्मेन्द्र कुमार, जगदीश प्रसाद पाण्डेय, साइमन फारूकी, विक्रमादित्य मिश्र, जय प्रकाश गोस्वामी, आशुतोष नारायण मिश्र, धर्मेन्द्र कुमार, दीनानाथ यादव, रहमान अली रहमान, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, लालजी पाण्डेय, सुमेश्वर यादव, रो. विनय कुमार श्रीवास्तव आदि ने सम्बोधित किया। कहा कि मनुष्य का अस्तित्व तभी सुरक्षित रहेगा जब धरती स्वस्थ रहे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मुख्य वक्ता सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि संसार पर फिर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मड़रा रहा है। इन्सानों ने एक दूसरे को समाप्त करने के लिये जितने हथियार बना डाले हैं यदि इस शक्ति का उपयोग धरती को बचाने में लगाया जाता तो हालात इतने खतरनाक न होते। कहा कि धरती हरी भरी रहेेगी तभी विश्व शांति, विकास का संकल्प साकार होगा।
संचालन करते हुये श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि विश्व कठिन दौर से गुजर रहा है। समुद्र बौखलाया है, आये दिन किसी न किसी कोने में सुनामी से तबाही की खबरे सामान्य हो गई है। भूकम्प, प्राकृतिक आपदाओं का घातक सिलसिला जारी है। यह इस बात का संकेत है कि धरती बीमार है। इसके भाग्य तभी संवरेंगे जब लोभी मनुष्य समन्वय के मार्ग पर चले।
अध्यक्षता करते हुये डा. रामदुलारे पाठक ने कहा धरती को बचाने के लिये विश्व व्यापी सामूहिक प्रयास की जरूरत है अन्यथा प्रकृति ने यदि स्वयं संतुलन बनाया तो इसके परिणाम मानव सभ्यता के लिये खतरनाक होगा।
कार्यक्रम को सुरेन्द्रनाथ ओझा, पं. चन्द्रबली मिश्र, मो. वसीम अंसारी, धर्मेन्द्र कुमार, जगदीश प्रसाद पाण्डेय, साइमन फारूकी, विक्रमादित्य मिश्र, जय प्रकाश गोस्वामी, आशुतोष नारायण मिश्र, धर्मेन्द्र कुमार, दीनानाथ यादव, रहमान अली रहमान, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, लालजी पाण्डेय, सुमेश्वर यादव, रो. विनय कुमार श्रीवास्तव आदि ने सम्बोधित किया। कहा कि मनुष्य का अस्तित्व तभी सुरक्षित रहेगा जब धरती स्वस्थ रहे।
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